कैंसर के लिए योग एक प्राकृतिक और सहायक उपचार के रूप में कार्य करता है। ये आसन न केवल शरीर को मजबूत और लचीला बनाते हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करते हैं।
आज के लेख मे हम बात करेंगे कैंसर के लिए योग की , पर उससे पहले जान लेते है की कैंसर होता है और साथ ही यह भी जान लेते है की योग क्या है और उसके लाभ क्या क्या होते है ।
कैंसर क्या है What is Cancer?
Cancer एक ऐसी बीमारी, जिसमे अनचाही कोशिकाओ यानि cells का तेज़ी से विकास होता है, फलस्वरूप ट्यूमर का निर्माण हो जाता है . वर्तमान समय में, कैंसर को मृत्यु का पर्याय माना जाता है।
कैंसर एक बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है। अगर इसे शुरू में ही पकड़ लिया जाए, तो इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर इसे देर से पता चला, तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है और इसे ठीक करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि प्रारंभिक निदान करवाएं क्योंकि प्रारंभिक चरणों में कैंसर का इलाज संभव है।
आज हम बात करेंगे कि कैंसर के लिए योग की, कैसे कैंसर जैसी कैंसर के लिए योग बीमारी को ठीक करने में मदद कर सकता है। हम कैंसर के लिए योग के अलग-अलग तरीकों से कैंसर को कैसे दूर कर सकते है, आज हम इसी के बारे में बात करेंगे। लेकिन पहले हम समझेंगे कि योग होता क्या है।
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योग और योग के लाभ
योग एक ऐसा तरीका है जिससे हम खुश रह सकते हैं और बीमारियों से दूर रह सकते हैं। यह हमारे शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखता है। योग किसी धर्म का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा तरीका है जिससे हम जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
- यह सार्वभौमिक और शाश्वत है और आज उतना ही प्रासंगिक है जितना कि यह 2000 साल पहले अपने विकास के समय था। वास्तव में, यह आधुनिक जीवन के दबावों का सामना करते हुए संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखने का एक आदर्श तरीका है।
योग के लाभ Advantages of Yoga
अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्ट्रेचिंग करना बहुत जरूरी है। योग एक बहुत पुराना तरीका है जिससे हम अपने शरीर को खींच सकते हैं और स्वस्थ रख सकते हैं। योग का मतलब है शरीर और मन को एक साथ जोड़ना। बहुत पहले से ही लोग जानते थे कि योग हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- योग करने से हम न सिर्फ स्वस्थ रहते हैं बल्कि हमारे मन को भी शांत रख सकते हैं। योग में हम सही तरीके से सांस लेना सीखते हैं। इससे हमारी ऊर्जा बढ़ती है और हमारा मन शांत होता है।
अब हम बात करेंगे कि कैंसर के मरीजों के लिए कौन से कैंसर के लिए योग आसन अच्छे होते हैं। लेकिन याद रखना, अभी तक कैंसर का कोई ऐसा इलाज नहीं मिला है जिससे यह पूरी तरह से ठीक हो जाए। अगर आप कैंसर से जल्दी ठीक होना चाहते हैं तो आपको सही चीजें खानी चाहिए और जड़ी-बूटियों का सेवन करना चाहिए। साथ ही, आपको सांस लेने के व्यायाम भी करने चाहिए।
कैंसर के लिए योग Yoga Asanas for Cancer
यहां कुछ प्रभावी कैंसर के लिए योग दिए गए हैं, जो कैंसर के मरीजों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं.
कैंसर के लिए भुजंगासन योग

कैंसर के लिए योग मे भुजंगासन योग महत्वपूर्ण है, भुजंगासन शब्द संस्कृत के ‘भुजंग’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘सर्प’। इसे “राइजिंग-स्नेक पोज़” भी कहा जाता है। इस आसन में आपका शरीर उठते हुए सांप के समान लगता है।
यह कैंसर के लिए योग उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है, जिन्होंने कैंसर के कारण हाल ही में पेट या पेट के आसपास की सर्जरी करवाई है। ऐसे लोगों को इस आसन को करने से पहले 6 महीने से 1 वर्ष का ब्रेक लेना चाहिए।
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भुजंगासन कैसे करें?
- फर्श पर पेट के बल लेट जाएं और अपने हाथों को फर्श पर दबाएं। माथा सामने की ओर केंद्रित रखें।
- धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए अपने पेट के हिस्से को उठाएं।
- आपका पेट, छाती और सिर हवा में उठे हुए होने चाहिए।
- इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें।
- सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस जमीन पर आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को 5-7 बार दोहराएं (कैंसर रोगियों के लिए)।
कैंसर के लिए मण्डुकासन (Mandukasana)

कैंसर के लिए योग में मण्डुकासन भी महत्वपूर्ण है, मण्डुकासन को ‘फ्रॉग पोज़’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसका नाम संस्कृत शब्द “मण्डुक” से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘मेंढक’।
- यह आसन सभी कर सकते हैं, लेकिन कैंसर रोगियों के लिए इसे दिन में 5-7 बार करना चाहिए। ऊर्जा का अधिक उपयोग या थकावट से बचना चाहिए।
मण्डुकासन कैसे करें?
- वज्रासन की मुद्रा में बैठें और दोनों हाथों की मुट्ठी बंद कर लें।
- मुट्ठी बनाते समय अंगूठे को अंदर की ओर दबाएं।
- दोनों मुट्ठियों से नाभि को दबाते हुए सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकें।
- सामने की ओर देखें और इस स्थिति में कुछ समय के लिए बने रहें।
- फिर धीरे-धीरे वापस वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को दिन में 5-7 बार दोहराएं।
कैंसर के लिए शशकासन (Sasakasana)

कैंसर के लिए योग: शशकासन को ‘रैबिट पोज़’ या ‘सीट पोज़’ भी कहा जाता है। यह आसन प्रतिरक्षा प्रणाली और अंतःस्रावी प्रणाली को उत्तेजित करता है।
कैंसर रोगियों के लिए यह आसन विशेष रूप से उपयोगी है और इसे दिन में 4-5 बार करना चाहिए।
शशकासन कैसे करें?

- वज्रासन की मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं।
- आगे की ओर झुकते हुए सांस छोड़ें और दोनों हाथों को आगे की ओर फैलाएं।
- हथेलियों को नीचे रखते हुए हाथों को जमीन पर टिकाएं, और कोहनी तक जमीन से सहारा दें।
- माथे को भी जमीन पर टिकाएं।
- इस स्थिति में कुछ समय तक बने रहें और फिर धीरे-धीरे वज्रासन की मुद्रा में वापस आ जाएं।
कैंसर के लिए मत्स्यासन (Matsyasana)

मत्स्यासन को ‘फिश पोज़’ भी कहा जाता है। इस आसन में, आपका शरीर मछली के समान मुद्रा में आ जाता है। यह कैंसर के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
मत्स्यासन कैसे करें?
- पद्मासन की मुद्रा में बैठें और पीछे की ओर लेट जाएं।
- हाथों और कुहनियों का सहारा लें।
- गर्दन को जितना हो सके पीछे की ओर झुकाएं।
- पीठ और छाती को उठाएं जबकि घुटने जमीन से लगे रहें।
- दोनों हाथों से क्रमशः दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़ें और कुहनियों को जमीन पर टिकाएं।
- सांस लें और इसे रोककर रखें।
- या तो सामान्य स्थिति में वापस आएं या फिर सिर और कंधों को जमीन पर रखते हुए और पैरों को सीधा फैलाकर शवासन में लेट जाएं।
- यह आसन सर्वांगासन का उल्टा माना जाता है।
कैंसर के लिए मर्कटासन

मर्कटासन को “मंकी पोज़” भी कहा जाता है। इस आसन को बहुत सावधानी से करना चाहिए। यह कैंसर को ठीक करने में अत्यधिक सहायक माना जाता है।
- कैंसर के मरीज को यह आसन दिन में 5-6 बार करना चाहिए।
मर्कटासन कैसे करें?
- सीधे लेट जाएं और दोनों हाथों को कंधे की ऊंचाई पर फैला लें।
- हथेलियां आसमान की ओर खुली होनी चाहिए।
- दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें और उन्हें कूल्हों के पास रखें।
- अब घुटनों को दाईं ओर मोड़ें और दायां घुटना जमीन पर टिकाएं।
- बायां घुटना दाएं घुटने पर और बायां टखना दाएं टखने पर टिकाएं।
- इसी तरह, यह प्रक्रिया बाईं ओर भी दोहराएं।